उत्तर प्रदेश सरकार ने जून 2025 में एक बड़ा फैसला लिया है जिसमें 50 या उससे कम और कुछ केसों में 20 से कम छात्रों वाले प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों के साथ मर्ज और पेयर करने का निर्णय किया गया है। इसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करना है ।
📌 मुख्य जानकारी
📝 आदेश की तिथि:
– 16 जून 2025 को बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे 30 जून तक प्रक्रिया तेज करें ।
📊 स्कूलों की संख्या:
– राज्य में लगभग 1.4 लाख सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें लगभग 29,000 स्कूलों में केवल ≤50 छात्र हैं।
– अनुमानतः लगभग 5,000 स्कूलों को इस फेज़ में मर्ज किया गया है ।
🏛️ कानूनी स्थिति:
– इलाहाबाद HC की लखनऊ बेंच ने 7 जुलाई 2025 को मर्जर योजना को कानूनी रूप से मान्यता दी और सुप्रीम कोर्ट जाने की अर्जी को ठुकरा दिया ।
– इसके बाद एक याचिका SC ने स्वीकार कर ली है, लेकिन यह अभी सुनवाई के लिये निर्धारित नहीं है ।
🎯 सरकार का तर्क:
– CM योगी आदित्यनाथ का कहना है कि इस कदम से संसाधनों का समेकन होगा, स्कूल परिसरों में पूर्व-प्राथमिक (Bal Vatika/आंगनवाड़ी) सुविधाएं शुरू की जाएंगी, और कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा ।
✋ विरोध और चिंताएँ
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शिक्षक संघ, विपक्षी नेता (SP, AAP) एवं अभिभावक इस नीति का विरोध कर रहे हैं ।
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मुख्य मुद्दे: ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को लंबा सफर करना, प्रधानाध्यापकों की चिपिंग, गैरशिक्षण कर्मचारियों (जैसे रसोइया) की नौकरियों पर असर। कुछ जगहों पर नाटक-प्रदर्शन और धरना भी हुए हैं ।